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होम बिल्डिंग के सुझाव

दीवार के प्लास्टर में पतली दरारें और भीतरी/बाहरी फ़िनिश में पपड़ी उखड़ना बहुत आम बात है। यहां इससे बचने के उपाय बताए गए हैं:

  • गलत एडहेसन (चिपकाव) के कारण प्लास्टर की हुई सतहों में दरारें आती हैं और कभी-कभी टूट कर अलग गिर जाती हैं।
  • एडहेसन सुनिश्चित करने के लिए सर्फेस तैयार करना महत्वपूर्ण होता है। सर्फेस में ढीले कण, धूल इत्यादि नहीं होने चाहिए, और ईटों/ब्लॉक्स के बीच के जॉइंट्स को ठीक से भरा जाना चाहिए।
  • प्लास्टर करने के लिए लीन मिक्स सही होता है क्योंकि गाढ़े और पतले मिक्स क्रैक कर जाते हैं।
  • आमतौर पर दो कोट प्लास्टरिंग की जाती है, और दोनों कोट्स के बीच पर्याप्त समय रखा जाता है।

अच्छी तरह से तैयार कंक्रीट को ठीक से कॉम्पैक्ट न करने और अच्छी तरह से क्योर न करने से यह बरबाद हो सकता है। यहां कॉम्पैक्ट करने का तरीका बताया गया है:

  • हवा के बुलबुले की मौजूदगी के कारण, ठीक से कॉम्पैक्ट न होने से मजबूती कम हो जाती है और इसलिए टिकाऊपन भी घट जाता है।
  • अधिक कॉम्पैक्ट करने से सीमेंट पेस्ट अलग-अलग हो जाता है और ऊपर की ओर खिसक जाता है, जिससे यह कमजोर हो जाता है।
  • अच्छे तरीके से कॉम्पैक्ट करने से इंग्रेडिएंट्स कसकर पैक हो जाते हैं, जिससे कंक्रीट ठोस बनता है।
  • क्योरिंग शुरू से ही होना चाहिए और पर्याप्त समय तक जारी रहना चाहिए ताकि इसमें अच्छी मजबूती आए और दरारें न पड़े।
  • रुक-रुक कर क्योंरिंग नहीं की जानी चाहिए क्योंकि यह हानिकारक हो सकता है।

रीइंफोर्समेंट बार्स RCC के अहम कॉम्पोनेंट्स होते हैं। दरारें पड़ने या यहां तक कि RCC के मेम्बर्स में टूट-फूट से बचने के लिए सही स्टील चुनना और इन्हें सही जगह पर लगाना बहुत महत्वपूर्ण होता है।

  • स्टील खरीदते समय इस बात का ध्यान रखें कि यह किसी अच्छी कंपनी का हो।
  • रीइंफोर्समेंट बार्स को गलत तरीके से पोजिशन किए जाने पर यह असरदार नहीं होता और RCC के एलिमेंट्स बिखर सकते हैं।
  • बार्स को जोड़ते समय, इस बात का ध्यान रखें कि ये एक दूसरे के ऊपर पर्याप्त लंबाई तक चढ़े होने चाहिए और सभी बार्स को अलग-अलग जगहों पर जोड़ा जाना चाहिए।
  • रीइंफोर्समेंट बार की सघनता की जांच करें और देखें कि बार्स के ऊपर पर्याप्त कंक्रीट कवर हो।

कमजोर और अस्थिर सेंटरिंग और फॉर्मवर्क के कारण चोट लग सकती है या जीवन का नुकसान हो सकता है और साथ ही साथ मटीरियल का भी नुकसान होता है। यहां सेंटरिंग और फॉर्मवर्क करने का तरीका बताया गया है:

  • सेंटरिंग पर्याप्त मजबूत होनी चाहिए ताकि फ्रेश कंक्रीट के सूखने तक यह इसे अपनी जगह पर बनाए रखे।
  • स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए सेंटरिंग को ब्रेस्ड प्रॉप्स की सहायता से पहले से तय अंतरालों पर कसा जाना चाहिए।
  • सेंटरिंग शीट्स के बीच के गैप्स को बंद किया जाना चाहिए ताकि स्लरी बाहर न निकल जाए, वर्ना कंक्रीट में हनीकॉम्ब बन सकता है।

यदि आपके घर की दीवारें मजबूत और ठोस न हो तो आपका घर सुरक्षित नहीं माना जाएगा। आपको इन सुझावों का पालन करना चाहिए:

  • ईंटों और ब्लॉक्स को मोर्टार की पूरी परत पर रखा जाना चाहिए।
  • जॉइंट्स में पूरी तरह से भरे होने चाहिए और मोर्टारयुक्त होने चाहिए।
  • वर्टिकल जॉइंट्स के बीच जगह होनी चाहिए।
  • मजबूत बनाने के लिए, ब्रिकवर्क को अच्छी तरह से क्योर किया जाना चाहिए।

खराब क्वालिटी के अग्रिगेट्स से खराब कंक्रीट बनेगा जिसके कारण संरचना का टिकाऊपन प्रभावित होगा। यहां कुछ आसान बताएं बताई गईं हैं जिन्हें आपको ध्यान में रखना है:

  • अग्रिगेट्स हार्ड, मजबूत, केमिकली निष्क्रिय होने चाहिए और इनमें कोई खतरनाक मटीरियल नहीं होना चाहिए।
  • जब परतदार और लम्बे मोटे अग्रिगेट्स/जेली अधिक मात्रा में मौजूद हों, तो कंक्रीट की मजबूती कम हो जाती है।
  • क्युबिकल और रफ अग्रिगेट्स की तुलना में दूसरे प्रकार के अग्रिगेट्स का इस्तेमाल किया जाता है।
  • रेत में गाद, मिट्टी, ढेला, माइका और अन्य अशुद्धियां नहीं होनी चाहिए।
  • इनमें से कोई अग्रिगेट्स अधिक मात्रा में होने पर कंक्रीट की सेटिंग, कठोरता, मजबूती और टिकाऊपन पर बुरा असर पड़ता है।

सीमेंट पर नमी का असर बहुत जल्दी पड़ता है। नमी के संपर्क में आने पर यह सख्त हो जाता है। नीचे सीमेंट स्टोर करने की विधि बनाई गई है:

  • सीमेंट को वाटर-रेसिस्टेंट शेड्स या बिल्डिंग में रखा जाना चाहिए।
  • साइट्स पर अस्थायी रूप से स्टोर करने के लिए सीमेंट बैग्स को ऊंचे सूखे प्लैटफॉर्म पर ढेर लगाया जाना चाहिए और टार्पोलिन/पीलिथीन शीट्स से ढका जाना चहिए।

दीमक लगने से संरचनाएं कमजोर हो जाती हैं और लकड़ी की सतहें क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। दीमक भगाने का उपाय कंस्ट्रक्शन शुरू करने से पहले किया जाता है।  यहां अपने घर से दीमक को दूर करने के उपाय बताए गए हैं:

  • फाउंडेशन से प्लिंट लेवर तक मिट्टी में केमिकल का इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • केमिकल बैरियर पूरी और लगातार होनी चाहिए।
  • दीमक का उपचार कंस्ट्रक्शन से पहले, इसके दौरान और बाद में किया जा सकता है।
  • इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि केमिकल से घरेलू पानी का स्रोत प्रदूषित न हो।

  • इस बात का ध्यान रखें कि नई दीवारों के फाउंडेशन इस तरह से मार्क किए होने चाहिए ताकि वे सही साइज़ के हों और सही पोजिशन में हो जो दीवार का वजन झेल सके।
  • इंजीनियर से लेआउट प्लान/सेंटर-लाइन ड्रॉइंग लें और बिल्डिंग की सबसे लंबी बाहरी दीवार के सेंटर-लाइन का इस्तेमाल जमीन में गड़े हुए खूंटों के बीच के रेफरेंस लाइन के रूप में करें।
  • सभी ट्रेंच ऐक्सकेवेशन लाइलों को दीवार के सेंटर लाइनों के अनुसार मार्क करें।
  • इस बात का ध्यान रखें कि खुदाई का लेवल, ढाल, आकार और पैटर्न सही हो।
  • अधिक ठोस बनाने के लिए ऐक्सकेवेशन बेड में पानी डालकर दबाएं। हल्की या भुरभुरी जमीनों को खुदकर उसमें कंक्रीट भरा जाना चाहिए।
  • गहरी खुदाई के लिए, उत्खनन के किनारों को टाइट शोरिंग वर्क से कसें ताकि गड्ढे की दीवारें गिरे नहीं।

यदि आपके बिल्डिंग का फाउंडेशन कमजोर हो, तो पूरी संरचना गिर सकती है या ढह सकती है। इस बातों का ध्यान रखें ताकि फाउंडेशन मजबूत हो:

  • फाउंडेश्ना सख्त मिट्टी पर हो और जमीन के स्तर से 1.2 मीटर तक गहरी हो।
  • यदि मिट्टी ढीली हो और/या गड्ढा बहुत गहरी हो, तो गड्ढे की दीवार को गिरने से बचाया जाना चाहिए।
  • फाउंडेशन एरिया इतना पर्याप्त हो कि जमीन पर इसका वजन सुरक्षित रूप से ट्रांसफर हो जाए।
  • फाउंडेशन का एरिया मिट्टी की भार सहन करने की क्षमता पर निर्भर करता है। खुदाई करने से पहले, फाउंडेशन की जगह और आकार चिह्नित करना जरूरी होता है।



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वर्ष 2007 में पहले अल्ट्राटेक बिल्डिंग सॉल्युशंस लोकेशन के उद्घाटन से लेकर अब तक, संपूर्ण भारत में अल्ट्राटेक के 2500 से अधिक लोकेशन हैं। हमने संपूर्ण उत्पाद श्रेणी में प्रमुख ब्रांड्स के साथ संबंध स्थापित किया है। लाखों लोग अल्ट्राटेक बिल्डिंग सॉल्युशंस पर भरोसा करते हैं, और वे अपने सभी होम-बिल्डिंग उत्पाद, सेवा और समाधान यहीं से लेते हैं।



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